प्राचीन मांडू ऋषि आश्रम का इतिहास

गंगा के तट पर स्थित द्वापर युग में महान संत मांडव्य ऋषि की तपोस्थली खांडव्य वन क्षेत्र एक पौराणिक तीर्थ स्थल है। ये स्थान ऋषि मांडव्य के नाम पर ही मांडू आश्रम के नाम से विख्यात हो गया। वर्ष भर इस स्थान पर ऋषि और संतो की चहल-पहल और अन्य धार्मिक अनुष्ठान होते रहते हैं।

द्वापर युग में महान तपस्वी महर्षि मांडू, खांडव्य वन में अपना आश्रम बनाकर तपस्या कर रह रहे थे। वर्तमान में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जनपद में गंगा तट पर स्थित मांडू आश्रम, ग्राम मवई ही वो स्थल है।

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मांडू आश्रम एक प्राकृतिक सौन्दर्य से भरा एक रमनीय स्थल है। यहाँ निकट ही ऊँचा गाँव किला जैसे अन्य एतिहासिक स्थल भी स्थित हैं

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मांडू आश्रम में गुरु भगवान धर्मार्थ ट्रस्ट के द्वारा भक्तों के रुकने के लिए समुचित व्यवस्था की जाती रही है।

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मांडू आश्रम में गंगा तट पर गंगा स्नान के लिए पक्के घाट का व अन्य सार्वजनिक सुविधाओं की समुचित व्यवस्था है।

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